यह सिलसिला... उन लोगो के लिये है, जिन्होने प्यार..,मौहब्बत..,यारी दोस्ती,रिश्ते,..एह्सास,..दिल,.धडकन,.इन्तज़ार.,बाते.,वादे.,यादे,आहे,कर्तव्य,त्याग व बलिदान जैसे लफ़्ज़ो को पढा़ ही नही, उन्हे जिया भी है !टूटते बिख्ररते रिश्ते...मौसम कि तरह बदलते लोग..मीलो तक फैली तन्हाइया,दर्द से भरी झील सी आन्खे,लरज़ते बूढे हाथ...पेड से गिरते पत्ते,सर्दियो की धूप..गिरती हुई बारिश की बून्दे..रात मे जलते चिराग..,दूर मन्दिर मे बजती हुई घन्टिया,किसी को पसंद करना..उसे टूट कर चाहना ऒर फिर उसे खो देना !